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बसंत बहार





बसंत बहार

 सज धज कैसा आया बसंत ,
 सबके मन को भाया बसंत ।
 हरे घास की है शेरवानी ,
जौ की जूती है जापानी ।
 सूरजमुखी मुकुट में दमके ,
चंदा भी तो चम चम चमके ।
 रंग-बिरंगे फूल बसन है ,
आम बौर का नहीं अंत। ।

आस्था औ विश्वास का सागर,
 धर्म ध्वजा की भरते गागर ।
 जै-जै भक्ति भाव में डूबा ,
 प्रकृति भी ढूंढे महबूबा। 
 ताल तलैया मेला भर गये,
 तन के दुख दूर कर गये ।
 सब मस्ती में झूमत ऐसे ,
 घर में जैसे आये हो कंत ।।

 अवनी भी श्रृंगार किये है ,
मन माफिक उपज दिए हैं ।
 बेला फूल चमेली खिल गई ,
 नई कोपले वृक्षन सज गई ।
 प्रकृति संग मानव भी झूमा ,
 ऊंची सोच गगन को चूमा ।
घर-घर में उल्लास भरा है ,
ज्यों महाकुंभ में आए संत।
सज धज कैसा आया बसंत।।

 स्वरचित
 डॉक्टर रामभरोसा पटेल अनजान
 शिक्षक व साहित्यकार
 आकाशवाणी व दूरदर्शन गीतकार 
बजरंग नगर कॉलोनी 
छतरपुर मध्य प्रदेश।





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4 Comments

Shnaya

18-Feb-2024 09:10 AM

Nice one

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Mohammed urooj khan

13-Feb-2024 11:42 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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नंदिता राय

12-Feb-2024 06:21 PM

Nice

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